मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने आज यहां मंत्रालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नए वर्ष की पहली बैठक में नव वर्ष की बधाई देते हुए सरकार की प्राथमिकताओं पर चर्चा की।*

*मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने आज यहां मंत्रालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नए वर्ष की पहली बैठक में नव वर्ष की बधाई देते हुए सरकार की प्राथमिकताओं पर चर्चा की।  मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार अब एक साल पुरानी हो गई है।* प्रशासनिक तंत्र को सरकार की सोच स्पष्ट हो गई है। उन्होंने कहा कि सभी ने सरकार को आजमा लिया है। उन्होंने कहा कि हर सरकार और मुख्यमंत्री की अपनी दृष्टि और कार्यशैली होती है और प्रशासन तंत्र के भी अपने तौर तरीके होते हैं। 
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मुख्यमंत्री ने नए साल में सरकार की प्राथमिकताएँ गिनाते हुए कहा कि, सबसे ज्यादा जरूरी सोच में परिवर्तन लाना। सोच में परिवर्तन से ही मध्यप्रदेश की नई पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की सोच और प्रशासनिक तंत्र के काम करने के तरीके में अंतर नहीं होना चाहिए। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि  सरकार को पूरी जवाबदेही के साथ मित्रवत और सहयोगी बनने की जरूरत है । समय के साथ चलते हुए नियम, कानून, प्रक्रियाओं में भी आवश्यक परिवर्तन लाने पर विचार करने और स्वप्रेरणा से सुझाव देने का आग्रह किया । उन्होंने कहा कि कई योजनाएँ बजट की कमी और कई अन्य कारणों से अधूरी रह जाती है । कई योजनाएँ केन्द्र सरकार के पास लम्बित पड़ी रहती है । इन पर प्राथमिकता से ध्यान दें। केन्द्र की योजनाओं का भरपूर लाभ लें और बाधाओं को दूर करें।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि हम समय नहीं बदल सकते लेकिन समय हमें जरूर बदल देगा इसलिए समय के साथ आगे बढ़ना और प्रदेश को आगे ले जाने के लिए काम करें।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की प्रोफाइल को कैसे बदलना इस पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है। प्रदेश में विश्वास और आत्मविश्वास का वातावरण बने और देश में मध्यप्रदेश की नई पहचान बने । मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन - प्रशासन में सुधार लाना सबसे बड़ी चुनौती है। यह वरिष्ठ स्तर से शूरू होकर निचले स्तर तक जाती है। इस प्रक्रिया में हर विभाग का योगदान और भूमिका होनी चाहिए। 
श्री नाथ ने कहा कि हर विभाग को यह भी देखना होगा की अन्य राज्यों में उसके क्षेत्र से संबंधित कौन सी नये परिवर्तन हो रहे है। दूसरों की सफलताओं और असफलताओं से सीख ले। उन्होंने कहा इसके लिए हर विभाग में एक समीक्षा प्रकोष्ठ बनाए और अपना दृष्टि पत्र बनाए। केन्द्र सरकार में लम्बित योजनाओं का समाधान करने के लिए सिर्फ पत्राचार करने की औपचारिकता में न पड़े बल्कि संबंधित अधिकारियों से सतत संपर्क करें और समाधान निकाले ताकि केन्द्र के बजट प्रावधानों और योजनाओं पूरा लाभ प्रदेश को मिले।
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ई-गवर्नेंस से वी-गवर्नेंस 
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मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि सेवा प्रदाय व्यवस्थाओं को सक्षम बनाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है ताकि आम नागरिकों को इसका भरपूर लाभ दिला सकें। सेवा प्रदाय व्यवस्था होगी जितनी प्रभावी होगी उतना ही प्रभावी प्रशासन होगा। उन्होंने कहा कि अब ई-गवर्नेंस से वी-गवर्नेंस पर जाने की आवश्यकता है। पुरानी व्यवस्थाओं की समीक्षा कर और अप्रभावी व्यवस्थाओं में परिवर्तन कर सक्षम बनाए। उन्होंने कहा कि हर परिवर्तन में थोड़ा नुकसान होता है लेकिन थोड़े नुकसान के लिए बड़े फायदे की अनदेखी करना ठीक नहीं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय कल्याण और वन संपदा संरक्षण सरकार की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से है। अन्य राज्यों में हो रहे अच्छे कामों का भी अध्ययन करें। परिवर्तन और समय के साथ नहीं बदलने का नजरिया ठीक नहीं। हर विभाग में एक समिति गठित करे जो अन्य राज्यों में हो रहे अच्छे कामों का अध्ययन करे।
 मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग के क्षेत्र में अविलम्ब त्वरित स्वीकृति देने की व्यवस्था अमल में लायें ताकि निवेशकों को भटकना न पड़े और औपचारिकताएँ जल्दी पूरी हो जाए।
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 स्वच्छ शहरों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर और भोपाल की तारीफ होती है । इससे आगे अब यह सोचना होगा कि स्वच्छता के क्षेत्र में कौन से नए आयाम जोड़े जा सकते है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरों का सौंदर्य बढ़ाने के उददेश्य से नोटिफाइड सड़कों के किनारे बनी बड़ी सरकारी और गैर सरकारी इमारतों में लिए अनिवार्य रूप से पेंटिंग करने के प्रावधान पर विचार करते हुए कानून बनाने पर भी विचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि नजरिए में परिवर्तन लाने की दिशा में छोटा सा प्रयास होगा।
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भूमि प्रबंधन प्राधिकरण गठित होगा 
मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के स्वामित्व में पड़ी अनुपयोगी जमीनों को लोक हित में उपयोग करने के उद्देश्य से भूमि प्रबंधन प्राधिकरण गठित करने की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हर विभाग इस बात की समीक्षा करे कि कितनी जमीन उसके उपयोग की है और कितनी अनुपयोगी पड़ी है। उन्होंने कहा कि ऐसी जमीनों पर गरीबों के आवास निर्माण जैसी योजनाएँ बनाई जा सकती है। 
 मुख्यमंत्री ने कहा कि विभागों को जमीन के स्वामित्व को लेकर अतिसंवेदनशील होने की आवश्यकता नहीं है । क्योंकि ऐसी जमीनों का उपयोग अंतत: लोक हित में ही होगा। उन्होंने भेल के पास सरकार की जमीन का हवाला देते हुए कहा कि इसका उपयोग न तो सरकार कर पा रही है न ही भेल प्रबंधन कर पा रहा है। विभाग अपने पास उपलब्ध जमीनों का उपयोग करे या उनका उपयोग होने दे।
एक सप्ताह में कर्मचारी चयन आयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले एक सप्ताह में कर्मचारी चयन आयोग काम करना शुरू कर दे। इसकी सभी औपचारिकाएँ पूरी कर ले। कौशल उन्नयन के संबंध में उन्होंने कहा कि कौशल उन्नयन के काम में कितनी सफलता मिली इसका आकलन करना जरूरी है कौन सा कौशल रोजगार के लिए उपयोगी है इसकी प्राथमिकता तय कर ले। प्रदेश के लिए कौन-कौन से कौशल जरूरी है उन पर ध्यान दे। आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए पूरा सहयोग करे।
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 मुख्यमंत्री ने किसानों की ऋण माफी का दूसरे चरण की शुरूआत की चर्चा करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश को न सिर्फ भारत का बल्कि विश्व का उद्यानिकी राजधानी बनने संभावनाएँ है। इस संभावनाओं को पूरा दोहन करे। फ्लोरीकल्चर की बहुत गुंजाइश है । इस क्षेत्र से खाद्य संस्करण अभिन्न रूप से जुड़ा क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि अब मिलकर यह प्रयास करना है कि मध्यप्रदेश को दुनिया में हो रहे परिवर्तन से कैसे जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि परिवर्तन अपनी गति से जारी रहेगा। यदि परिवर्तन के साथ कदम ताल नहीं की तो पीछे छूट जाएंगे।
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 शिक्षा के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अभी गुणवत्ता में महाविद्यालयों से लेकर प्राथमिक स्तर पर बहुत कमी है । इसका स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है । इसके लिए रणनीतिक प्रयासों को बढ़ाना होगा। प्राथमिक शालाओं से शुरूआत करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा बजट खर्च होता है लेकिन गुणवत्ता नहीं बढ़ने से उसका फायदा भाविष्य के लिए नहीं मिल पाता । 
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मिलावटी दवाई बनाने वाली दवा कंपनियों के विरूद्ध अभियान
स्वास्थ्य के क्षेत्र की प्राथमिकता की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आयुर्वेदिक डॉक्टर की पद स्थापना करने, आयुष्मान जैसी योजनाओं का अधिकाधिक उपयोग करने की दिशा में भी काम करने की आवश्कयता है। 
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मुख्यमंत्री ने कहा कि विभागीय बजट की राशि का उपयोग जनवरी, फरवरी, मार्च महीने में करने का चलन सा बन गया है । इस प्रवत्ति से बचने की आवश्यकता है। 
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शुद्ध के लिए युद्ध अभियान की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि शुद्ध के लिए युद्ध करने की स्थिति बनना अपने आप में अप्रिय है। उन्होंने कहा कि अब मिलावटी दवाई बनाने वाली दवा कंपनियों के विरूद्ध अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों के हित के लिए मध्यप्रदेश को शुद्धता का प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी प्रकार माफिया का अंत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन करने वालों को अचानक माफिया घोषित करना ठीक नहीं। माफिया एक संगठित लोगों का समूह होता है । सरकार माफिया को बर्दाश्त नहीं करेगी। 
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मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को सहयोगी रूख अपनाते हुए वन क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय समाज को उनका अधिकार देने के कदम बढ़ाना होगा, आगे बढ़कर काम करना होगा। सबूत होते हुए ऐसे गरीब लोगों से रिकार्ड माँगना और लकीर के फकीर बने रहने की प्रवृत्ति ठीक नहीं है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि कुपोषण मिटाना प्राथमिकताओं में से एक है इसके अलावा प्रदेश के पर्यटन में अत्यधिक संभावनाओं को देखते हुए उसे आगे बढ़ाने के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना से ज्यादा संभावनाएँ जैसे हेरिटेस्ज टूरिज्म में कई राज्यों से प्रदेश आगे निकल सकता है।