पिता का निधन, बेटे-पोते ने नहीं किया मृत्युभोज और दान कर दी 90 लाख की जमीन l
गांव भैसलाय तहसील महु इंदौर l
इंदौर. शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर भैंसलाय गांव में लिया गया एक निर्णय चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल यहां के पूर्व सरपंच और भाजपा नेता भेरूसिंह चौहान का निधन हो गया। उनके बेटे हिंदू सिंह और पोते बनेसिंह चौहान ने एक पहल करते हुए पगड़ी की रस्म में बड़ा भोज नहीं दिया, बल्कि उनकी 90 लाख रुपए कीमत की साढ़े 7 हजार वर्गफीट जमीन समाज की धर्मशाला के लिए दान कर दी। उनकी पहल से समाज में हर्ष का माहौल है। उनकी सराहना की जा रही है। कुछ लोगों ने तो धर्मशाला के लिए 70 लाख रुपए नकद भी दे दिए।
कुरुति खत्म करने का संकल्प l
राजपूत समाज के दुले सिंह राठौर का कहना है कि भेरूसिंह चौहान की मृत्यु के बाद काफी बड़े स्तर पर मृत्युभोज का आयोजन किया जाना था। समाज और परिवार ने कुरुति को लेकर विचार किया तो इस फिजूलखर्ची को रोकने का सभी ने फैसला लिया, ताकि भेरूसिंह को लोग हमेशा याद रख सके। इसके लिए बेटे और पोते आए और धर्मशाला के लाखों रुपए की जमीन दे दी।
किसी ने दिए 44 तो किसी ने 7 लाख l
*भेरूसिंह के परिवार की पहल के बाद तो जैसे समाजजन में एक नई लहर दौड़ गई। धर्मशाला के लिए कई लोग आगे आने लगे। मेहताबसिंह चौहान ने धर्मशाला का किचन शेड और बर्तन दान की घोषणा की। हीरासिंह, प्रहलादसिंह, यशवंतसिंह और पूरणसिंह चौहान ने मिलकर 44 लाख 44 हजार 444 रुपए नकद दे दिए। सोभागसिंह चौहान ने 5 लाख 55 हजार 555 रुपए, जयसिंह चौहान, उदयसिंह चौहान ने 7 लाख 11 हजार 110 रुपए, रूपसिंह, तूफानसिंह, गोकुलसिंह चौहान ने 7 लाख 66 हजार 665 रुपए नकद दिए। विक्रमसिंह चौहान ने 2 लाख 11 हजार 111 रुपए, मेहरबानसिंह चौहान और समंदरसिंह राठौड़ ने 3 लाख 11 हजार 110 रुपए और लाखनसिंह राठौड़ ने 1 लाख रुपए नकद दे दिए।*
*यदि कोई भोज देगा तो सिर्फ सब्जी-पूरी, एक मीठा रखेगा*
समाज ने यह भी निर्णय लिया कि समाज के किसी व्यक्ति के निधन पर मृत्युभोज देना जरूरी नहीं है। यदि देना है तो फिजूलखर्ची को रोकना होगा। भोज में सिर्फ पूरी-सब्जी और एक मीठा ही रखा जाएगा। इससे जिस परिवार में गमी हुई है उसे दुख की घड़ी में राहत रहेगी और समाज में अच्छा संदेश जाएगा। वर्षों से चली आ रही मृत्युुभोज जैसी कुरीतियां भी खत्म होंगी।
इस पहल अमजद पटेल धन्नड खुर्द पिथमपुर का सलाम समाज जो भी लेकिन सभी को आने वाला भविष्य समय और हालात के अनुसार समाज में हो रही या चली आ रही प्रथा पर विचार कर समाज हित में कार्य करना चाहिए l