200 बोगस फर्मों ने फर्जी बिलों से की 1000 करोड़ की टैक्स चोरी
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- फर्जीवाड़ा पहले महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ से अवैध तरीके से माल बुलाया जाता और फिर उसे फर्जी इनवाइस से बेच देते थे
- नई दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा के पतों पर ले रखा था नौकरों, मुनीम व ड्राइवरों के नाम पर जीएसटी का पंजीयन
भोपाल। नई दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा के पतों पर बनी 200 बोगस फर्मों ने करीब 1000 करोड़ रुपए के फर्जी इनवाइस जारी किए। ज्यादातर इनवाइस लोहे के एंगल, सरिये और स्क्रैप के लिए जारी हुए। मप्र के व्यापारियों के नाम लाखों इनवाइस आईं। व्यापारियों ने भले ही कोई माल नहीं खरीदा, लेकिन उन्होंने इनवाइस में दर्ज मात्रा का सामान बेचा।
बाद में अपने मासिक रिटर्न में यह इनवाइस अपलोड किए। इस आधार पर इन बोगस कंपनियों के दिल्ली में बैठे संचालकों ने टैक्स क्रेडिट हासिल की। व्यापारियों ने इस क्रेडिट में दर्ज राशि का बोगस कंपनियों के संचालकों को नकद भुगतान किया। जब भोपाल स्थित सेंट्रल जीएसटी विभाग की इंटेलीजेंस यूनिट ने पड़ताल कि तो पता चला कि बोगस कंपनियों ने कोई माल भेजा ही नहीं तो व्यापारियों ने इन इनवाइस में दर्ज मात्रा का सामान कैसे बेच दिया? जांच आगे बढ़ने पर पता चला कि व्यापारियों ने पहले ही अवैध तरीके से महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से लोहे के एंगल, सरिये और स्क्रैप मंगवाकर रखे थे, जिन्हें इन इनवाइस के जरिए बेचा गया। विभागीय सूत्रों ने बताया कि बोगस कंपनियों के संचालक व्यापारियों को उनकी जरूरत के हिसाब से इनवाइस बनाकर देते थे। व्यापारी पहले अवैध चैनलों से माल बुलवाकर स्टॉक कर लेते थे और फिर उसके बाद इन बोगस कंपनियों के संचालकों को ऑर्डर देकर बिल बनवा लेते थे।
रिटर्न फाइल करने के बाद आईटीसी क्लेम करते थे
एनसीआर की फर्में पैनकार्ड, किराए के एग्रीमेंट, शॉप पंजीयन नंबर लेकर अपने नौकरों, मुनीम और ड्राइवर के नाम पर जीएसटी का पंजीयन लेते थे। फिर इनके जरिए इनवाइस जारी करते थे। यह इनवाइस, इंदौर, भोपाल, जबलपुर और उज्जैन समेत मप्र के कई शहरों के व्यापारियों के नाम पर थे। व्यापारी इन इनवाइस के जरिए माल मिलना बताकर रिटर्न फाइल कर देते थे। उसके बाद आईटीसी क्लेम करते थे। दिलचस्प बात यह है कि इन व्यापारियों के स्टॉक में वह माल होता था। बाद में उसे बेचा भी जाता था।
सात लोगों ने किया यह हेरफेर
दिल्ली और एनसीआर में यह सारी फर्में सात लोगों द्वारा बनाई गई थीं। भोपाल स्थित सेंट्रल जीएसटी की इंटेलीजेंस यूनिट अब तक तीन लोग ललित कुशवाहा, राजेश शर्मा और ललित कुमार कंसल को गिरफ्तार कर चुकी है। शेष 4 लोगों की धरपकड़ के लिए कार्रवाई जारी है।
इनवाइस लेने वाले व्यापारियों की पहचान की जा रही है
बोगस कंपनियों से आईटीसी लेने वाले व्यापारियों की पहचान की जा रही है। हजारों की संख्या में इनवाइस होने के कारण सबकी पहचान स्थापित करने में विभाग को वक्त लग रहा है। अनुमान है कि बोगस कंपनियों के इनवाइस लेकर आईटी क्लेम करने वाले व्यापारियों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है।
केवल फाइन भरकर छूट जाएंगे व्यापारी
जानकार कहते हैं कि बोगस कंपनियां बनाने वालों को विभाग ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है, लेकिन इनके इनवाइस के जरिए आईटीसी क्लेम दिलाने में सीधे मददगार रहे व्यापारी केवल कर चोरी की राशि का 100% भरकर छूट जाएंगे, क्योंकि जीएसटी अधिनियम में कर अपवंचन की राशि 2 करोड़ रुपए से अधिक होने पर ही गिरफ्तार कर जेल भेजने का प्रावधान है। बोगस कंपनियों से इनवाइस लेने वालों ने इस बात को ध्यान में रखा। ऐसे में व्यापारियों की पहचान होने के बाद भी इन्हें सजा दिलाना मुश्किल होगा