कालोनीनाईजर व बिल्डर द्वारा दिए चेक बाउंस होने पर
विकास अनुमति होगी निरस्त तथा होगी वैधानिक कार्यवाही
इन्दौर, दिनांक 26 अगस्त 2019। आयुक्त श्री आशीष सिंह द्वारा ऐसे कालोनीनाईजर, बिल्डर व बडे करदाता जिनके द्वारा कालोनी विकास राशि का भुगतान चेक के माध्यम से किया जाता है और वह चेक संबंधित के खाते में पर्याप्त राशि ना होने से बाउंस हो जाते है, ऐसे प्रकरणो की जांच करने के अपर आयुक्त राजस्व को निर्देश दिये गये। इसके साथ ही आयुक्त श्री सिंह द्वारा चेक बाउंस होने संबंधित प्रकरणो की जांच कर उनकी अनुमति निरस्त करने व उनके विरूद्ध वेधानिक कार्यवाही करने के भी अपर आयुक्त को निर्देश दिये गये।
विदित हो कि झोन क्रमंाक 08 के वार्ड क्रमांक 36 के अंतर्गत खसरा नंबर 05 ग्राम अरण्डिया में स्थित 238883 वर्गफीट भूमि जो निगम संपतिकर कम्प्युअर रेकार्ड में खाता क्रमांक 40812901634 से दर्ज है संपति स्वामी श्री पुरूषोत्तम पिता वरदीशंकर जोशी द्वारा सदर भूमि पर काॅलोनी विकसित करने हेतु तत्समय उक्त खाते पर बकाया संपतिकर राशि 2760973 रूपये का चेक क्रमंाक 197473 दिनांक 9 मार्च 2019 को प्रस्तुत कर कालोनी सेल शाखा से सदर भूमि की विकास अनुमति दिनांक 23/04/2019 को प्राप्त की गई थी। संपति स्वामी द्वारा संपतिकर के भुगतान हेु दिया गया चेक बैंक में प्रस्तुत करने पर बैंक द्वारा खाते में अपर्याप्त राशि के रिमार्क के साथ ही अस्वीकृत किया गया।
इस प्रकार से संपति स्वामी द्वारा धोखाधडी कर संपतिकर राशि का भूगतान नही करते हुवे निगम को आर्थिक हानि पहुंचाकर सदर भूमि पर कालोनी विकसित करेन हेतु किये जा रहे निर्माण कार्य को आयुक्त श्री सिंह के आदेशानुसार अपर आयुक्त राजस्व के निर्देशन में उपायुक्त राजस्व द्वारा तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित करने हेतु एवं सदर भूमि पर जारी विकास अनुमति निरस्त करने की कार्यवाही हेतु पत्र जारी कर झोन क्रमाक 8 के प्रभारी सहायक राजस्व अधिकारी को उक्त क्षेत्र सील करने के निर्देश दिये गये।
निगम द्वारा उल्लेखित संपतिधारक की संपति को सील करने की गई कार्यवाही से घबराकर संपति स्वामी द्वारा दिनांक 23 अगस्त 2019 को 2761472 रूपये राशि का डीडी द्वारा निगम कोष में जमा की गई।
आयुक्त श्री सिंह के निर्देशानुसार अपर आयुक्त राजस्व द्वारा उपायुक्त राजसव, सहायक राजस्व अधिकारियो को निर्देशित किया गया है कि संपतिकर बकाया राशि हेतु बडे बिल्डरो व कालोनीनाईजरो से प्राप्त चेको की जांच कराई जाए तथा जिसमें दोषियो के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराकर देय राशि की वसुली हेतु इस प्रकार की कार्यवाही लगातार कि जावे।